श्री शनि देव आरती
श्री शनि देव आरती | Shree Shani Dev Aarti Lyrics in Hindi
श्री शनि देव हिन्दू धर्म में न्याय और कर्म के देवता माने जाते हैं। शनिदेव सूर्य के पुत्र हैं और उन्हें कष्टों को दूर करने वाला, ग्रह दोष शांत करने वाला देवता माना जाता है। शनिवार के दिन उनकी पूजा और आरती करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।
श्री शनि देव आरती एक लोकप्रिय भक्ति गीत है जो भक्तों द्वारा शनि देव की कृपा प्राप्त करने और उनके प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए पढ़ी जाती है।
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श्री शनि देव आरती(Lyrics in Hindi)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुज धारी।
नीलांबर धार नाथ गज की आसवारी।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
मोदक मिष्टान पान चढ़त है सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरित हर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण है तुम्हारी।।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
जय शनि देव महाराज की।
आरती जय शनि देव महाराज की।
आरती का महत्व
शनि देव आरती का नियमित पाठ करने से:
- जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
- ग्रह दोष और कष्ट कम होते हैं।
- मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
- शनिवार के दिन पढ़ने से विशेष लाभ मिलता है।
यह आरती शनि देव की कृपा प्राप्त करने और संकटों से मुक्ति पाने का सबसे प्रभावी तरीका मानी जाती है।
FAQ
Q1. शनि देव आरती कब पढ़नी चाहिए?
A1. शनिवार के दिन सुबह या शाम में पढ़ना सबसे शुभ माना जाता है।
Q2. शनि देव आरती पढ़ने का लाभ क्या है?
A2. शनि देव आरती से ग्रह दोष शांत होते हैं, जीवन में शांति आती है, और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
Q3. आरती के साथ क्या सामग्री चढ़ाई जाती है?
A3. दीपक, मोदक, सुपारी, तिल, तेल आदि चढ़ाए जाते हैं।
Q4. क्या आरती सिर्फ पाठ करने से लाभ होता है या भजन के साथ भी करना चाहिए?
A4. भजन और आरती दोनों साथ करने से अधिक प्रभाव होता है।